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चाय में घुलता इश्क़

3.9
2678

क्लास बंक करके वो अक़्सर कैंटीन में मिलते थे, उस वक़्त कैंटीन लगभग खाली सी रहती थी, फिर भी वो अपनी उसी कॉर्नर की सीट पर बैठते थे, जो उन्होंने ईटों के चट्टे से बनायीं थी, एकदम प्राइम लोकेशन जैसा था ...

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लेखक के बारे में
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सौरभ मिश्रा
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    सरस श्रीवास्तव
    15 ऑगस्ट 2017
    It is a nice magical feeling ...only those who can feel it.💖
  • author
    Pramod Ranjan Kukreti
    31 डिसेंबर 2018
    बहुत सुंदर। शब्दों की जदूगीरी, कहानी को और रोचक बनाती।
  • author
    Shilpi Saxena
    13 मे 2019
    bahut hi khoobsurat kahani...👌👌👌👌👌
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    सरस श्रीवास्तव
    15 ऑगस्ट 2017
    It is a nice magical feeling ...only those who can feel it.💖
  • author
    Pramod Ranjan Kukreti
    31 डिसेंबर 2018
    बहुत सुंदर। शब्दों की जदूगीरी, कहानी को और रोचक बनाती।
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    Shilpi Saxena
    13 मे 2019
    bahut hi khoobsurat kahani...👌👌👌👌👌