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" चतुर ब्राह्मण और तीन ठग "

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एक बार एक पंडित जी एक सेठ जी के घर पर हवन करवाने जाते हैं । वहां पर हवन हो जाने के बाद दक्षिणा में सेठ जी उन्हें थोड़ा सामान , नगद रुपये और एक बकरी का बच्चा देते हैं। पंडित जी दक्षिणा से मिला हुआ ...

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लेखक के बारे में
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Sumit Mandhana

जोधपुर मेरी जन्मभूमि है, सूरत मेरी कर्मभूमि है। मैं एक मंचीय कवि हूँ और बतौर हास्य कवि सूरत में गांधी स्मृति भवन में, मुंबई में बोरीवली में, दिल्ली में दो बार, हरियाणा में तीन बार, चेन्नई में तीन दिवसीय, उदयपुर में तीन दिवसीय, जयपुर में एक बार काव्य पाठ कर चुका हूँ। कुछ खास रचनाओं में यह शामिल है : "हे अब्दुल कलाम, तुम्हें ढेरों सलाम", "मां चालीसा" "पिता", "गणेश चालीसा" , "पत्नी बावनी", "देश भक्ति", "नेता बोलता है", "रामचंद्र कह गए सिया से" "चतुर पंडित", "लंबी कुटाई", "टमाटर गाथा", "खट्टा रसगुल्ला, "एक तरफा प्यार" इत्यादि।

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