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चलेगा न!

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आज थोड़ा खुद के लिए जिलू,,, चलेगा न ! बेशुमार महेक के साथ खुल के खिलू,, चलेगा न! प्यार खुद से और खुद ही से गले मिलु,,, चलेगा न! लापरवाह होना जहर हे तो वो भी पीलू,,, चलेगा न! सिर्फ आज सारे बंधन फाड़ ...

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लेखक के बारे में
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Dr.vinisha nanda

નાં લેખક નથી પણ દિલના સૂરોને શબ્દોથી સજાવાનો શોખ છે.

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