pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

चाय - सुकून भी, सज़ा भी

1

चाय – सुकून भी, सज़ा भी चाय, मेरा पहला प्यार, जिससे बरसों पहले जुदा हो गया था। लेकिन जब आज वो मेरे सामने आई, तो मैं खुद को रोक नहीं पाया। जैसे ही मेरे होंठों ने उसे छुआ, उसकी वही पुरानी गर्माहट, वही ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Abhishek Ranjan
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है