मैं बूढ़ा ,यमराज के गिरफ़्त में हूँ। आज भी बच्चों कि बहुँत परवाह करता हूँ।। मैं थक गया हूँ ,कर्तव्य निर्वहन करते- करते। बेजान डब्बा बन बोलते रहता हूँ ,तर्ज़ूबा का किस्सा..।। घर के किसी कोने में ...
मैं बूढ़ा ,यमराज के गिरफ़्त में हूँ। आज भी बच्चों कि बहुँत परवाह करता हूँ।। मैं थक गया हूँ ,कर्तव्य निर्वहन करते- करते। बेजान डब्बा बन बोलते रहता हूँ ,तर्ज़ूबा का किस्सा..।। घर के किसी कोने में ...