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'ब्राह्मण'

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हाँ हमें बहुत दुःख होता है जब कोई झूठी खिल्ली उड़ाकर हमें कहता है "ब्राह्मणों का काम तो सिर्फ़ माँगने और खाने का" जब कोई लाखों खर्च कर देता है किंतु वह जीवन भर याद रखता दक्षिणा मैंने ग्यारह सौ दी थी ...

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कुमार अचेतन
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