pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या.....

0

✍️ ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या । फिर शिकायत किस लिए? कुछ नहीं स्थाई जग में। फिर बगावत किसलिए? वक्त आता है सभी का, आज गम तो कल खुशी। कर्म को करने में राही, फिर रुकावट किसलिए? जिसको जो होगा लिखा, उतना तो ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Richa Mishra

एक प्रयास : हिन्दी साहित्य में लोगों की रुचि की वृद्धि करना

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है