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ब्लैक एंड वाइट

4.3
13451

यह ब्लैक एंड वाइट फ़िल्मों का दौर था मगर मोहतरमा की रंगीन दिलक़श अदाएं ग़ज़ब ढ़ा रही थीं। सुमित्रा देवी लाखों-करोड़ों जवान दिलों की धड़कन बन चुकी थी।जब वह एस्टन मार्टिन कार से उतरती तो लोग उसके ...

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लेखक के बारे में
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राजेश मंथन

जन्मजात लेखक हूँ, लिखने के सिवा और कुछ नहीं आता मुझे। मथुरा की पावन धरती पर जन्म हुआ! मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध है। बरसों से जिम्मेदारियों का बोझ उठाते हुए ज़िन्दगी गुज़री है। आज भी दिल में उम्मीद की लौ रोशन है ये सोचकर कि कभी तो संघर्ष के अंधेरों को चीरकर सपने अपनी मंज़िल से जाकर मिलेंगे। फ़ितरत यायावर और फ़कीराना। फ़ुर्सत के पल गीत, ग़ज़लें और कहानियाँ लिखकर बीतते हैं। सम्पर्क- 09769566244, 08850429055

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    03 मई 2018
    महोदय! क्या कहूँ, शब्द नहीं हैं। वैसे बहुत अच्छी कहानी है। कितनी सच्ची है ये तो नहीं पता, पर लेखन शैली और कथानक दोनों ही जबरजस्त हैं।
  • author
    Renu Singh
    17 दिसम्बर 2018
    👍
  • author
    shalini anjum
    30 अप्रैल 2018
    बहुत ख़ूब ! इस कहानी ने black and white फ़िल्मों के क्लासिक युग को फिर से आँखों के सामने ला खड़ा किया। ऐसा लगता है जैसे सारे किरदारों को बड़े परदे पर देख रहे हैं। अंत में मन दुखी भी हुआ ।
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    03 मई 2018
    महोदय! क्या कहूँ, शब्द नहीं हैं। वैसे बहुत अच्छी कहानी है। कितनी सच्ची है ये तो नहीं पता, पर लेखन शैली और कथानक दोनों ही जबरजस्त हैं।
  • author
    Renu Singh
    17 दिसम्बर 2018
    👍
  • author
    shalini anjum
    30 अप्रैल 2018
    बहुत ख़ूब ! इस कहानी ने black and white फ़िल्मों के क्लासिक युग को फिर से आँखों के सामने ला खड़ा किया। ऐसा लगता है जैसे सारे किरदारों को बड़े परदे पर देख रहे हैं। अंत में मन दुखी भी हुआ ।