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गाँव की कच्ची धूल भरी पगडण्डी पर वह खोई खोई, डगमगाती सी चली जारही थी| मन में झंझावात सा चल रहा था| आँखें बार बार भर आतीं| एक पल दिल मेंहूंक सी उठती और दूसरे ही पल एक अदृश्य शक्ति की लहर उसका तन मन ...