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भ्रष्टाचार (कविता)

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कण-कण में प्रभु का अंश व्याप्त हो या कि नहीं, पर सर्वव्याप्त अब भ्रष्टाचार का गरल तत्व है। हो विभेद हर बात में चाहे पदासीनों के, भ्रष्टाचार के अनुसरण में पूर्ण एकत्व है। धन से बढ़कर चीज भला क्या ...

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लेखक के बारे में
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अमित कुमार

साहित्य सृजन की विधा: कविता, लघुकथा, नाटक, लेख, संस्मरण आदि। शिक्षा : एम.ए.(राजनीति शास्त्र), एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बी.एड. सम्प्रति : उच्चतर माध्यमिक शिक्षक, राजकीयकृत ल.ना.रा. उ.मा.वि., ढीबर (बाढ़) सदस्य, सम्पादक-मंडल, 'प्राच्य प्रभा' बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ज़माल रोड (पटना) स्थायी पता : 'जगदीश द्वार', पंडारक (पटना) पिन- 803221 (बिहार) ईमेल : [email protected] मोबाइल नं.: 9693274111.

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