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भोर से साँझ

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4.2

सूरज की सिंदूरी - सुनहरी बिंदी से शुरू चाँद की रुपहली बिंदी पर खत्म एक औरत का जीवन। सूरज की बिंदी देखने की फ़ुरसत ही कहाँ ! सरहाने पर या माथे पर खुद की बिंदी और खुद को भी संभालती चल पड़ती है दिन भर की ...