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भूख (उपन्यास)-भूख (उपन्यास)

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4.5

‘‘अल्लाह, मेरे गुनाह, मेरी शारीरिक भूख - पेट की आग और मानसिक भूख - हिंसा की जगाई हुई आग, मेरे जे़हादी बनने का कारण हैं।’’ ‘‘हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।’’ ‘‘और अंत में मेरी यही गुज़ारिश है कि फिर ...