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भीष्म पितामह

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भीष्म पितामह वह महा रथी जव थक गया मन से लेट गया बाणों की सैय्या पर अनुभव था त्याग था मौत हाथ जोडे खडी थी अव चलो पर अमरता की कामना विहीन वह लेटा था आत्मशोध मे धर्म की सच्चाई करतलभार से दवी सोच रही थी ...

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लेखक के बारे में
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Chandra Shekhar Sharma

जन्म स्थान विजयगढ़ जनपद अलीगढ़ मानव संसाधन विकास में स्नातकोत्तर,एवं एल एल बी हिन्दी कविता गीत लेख समीक्षा समालोचना पढन पाठन में रुचि मानव संसाधन विकास प्रोफ़ेशनल

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