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भये प्रगट कृपाला.....! अप्रैल डायरी

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माँ कौशल्या के आंगन में एक प्रकाश पुंज उभरा, और कुछ ही समय मे पूरी अयोध्या उसके अद्भुत प्रकाश में नहा उठी... तुलसीदास जी ने लिखा, "भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी...!"       ...

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लेखक के बारे में

"मन की अनुभूतियों के उद्गार शब्दों में उकेरने की कला ही लेखनी बन कर व्यक्ति और समाज को नई राह दिखाती है।".... ....अपनी इसी सोच को चरितार्थ करने का प्रयास है। पारिवारिक वातावरण के चलते बचपन से ही हिन्दी भाषा और साहित्य में गहरी रूचि रही है। शैक्षणिक योग्यता एवं अध्यापन का विषय रसायन विज्ञान होते हुए भी साहित्य विधा की वीथिकाओं में विचरण करना बहुत प्रिय है। उत्कृष्ट सृजन एवं प्रेरक समीक्षात्मक विचारों हेतु सदैव आप सभी सुधिजनो के साथ एवं सहयोग की आकांक्षी हूँ।।

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