pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

भगवान के घर देर है अंधेर नहीं

1588
4.5

वो चइत महीने की एक भयंकर दोपहरी थी, आसमान से भगवान भाष्कर साक्षात आग बरसा रहे थे, पछुवा हवा भी विकराल रूप धारण करके आग में घी डालने का काम कर रही थी। ऐसा प्रतीत होता था कि इस आग में जो भी पड़ेगा, जल ...