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भाग-4 (कर्म करो फल की चिन्ता मत करो)

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कमरे आकर फिर सोचने लगी आखिर करे तो करे क्या? और किसके लिए क्षितिज ने तो बिना मेरी बात सुने ही मुझसे मुह मोड़ लिया था। सोचते-सोचते कब गहरी नींद मे चली गई पता ही नही चला। तभी भगवद्गीता का एक श्लोक ...