कमरे आकर फिर सोचने लगी आखिर करे तो करे क्या? और किसके लिए क्षितिज ने तो बिना मेरी बात सुने ही मुझसे मुह मोड़ लिया था। सोचते-सोचते कब गहरी नींद मे चली गई पता ही नही चला। तभी भगवद्गीता का एक श्लोक ...
कमरे आकर फिर सोचने लगी आखिर करे तो करे क्या? और किसके लिए क्षितिज ने तो बिना मेरी बात सुने ही मुझसे मुह मोड़ लिया था। सोचते-सोचते कब गहरी नींद मे चली गई पता ही नही चला। तभी भगवद्गीता का एक श्लोक ...