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बेटी : जीवन का सार

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मेरे सूने जीवन में जब से खिली,  ज्यों बनके वो जूही की कली।  मन की बगिया हुई सुवासित,  ममता का आंचल हो गया सुरभित।  वो मेरे जीवन की परिभाषा है,  दिल में अब नहीं कोई अभिलाषा है। मां की छवि बेटी में ...