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बेइंतहा शोर हैं मेरे अंदर और मुझे खामोशियां पसंद हैं

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मुझको बदला नहीं किसी ने ख़ुद मैं बदल गई। ख़ुद ही फिसल गई थीं मैं ख़ुद ही संभल गई । नहीं रहा सहारा किसी का हमदर्द मैं ख़ुद के लिए  बन गई । ये दुनिया मुझे समझे ना समझे अब मैं ख़ुद को समझ गई। जिन पर ...

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Amisha Srivastava
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