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बीस हजारी

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4.3

रोटी सेंकते ही चंपा बुदबुदा उठी बीस हजारी यही तो नाम था उसका।वह थाली मे दो रोटी अनमने से टुंगते अतीत के पन्ने उलटने लगी कितने अरमानो को सहेजे वह पति के साथ ससुराल राजस्थान के गावँ में आई थी।एक छोटा ...