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बसंत ऋतु कि एक छोटी सी कविता

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अब   आई   बसंती   बहार कि चारों ओर   हरियाली हैं कुन्ज मे  कोयल कि पुकार अब   आई   बसंती   बहार ..........! पीली   पीली   सरसों   व हरी        हरी        गेहुंआ अमवन कि  डाढी   डाढी ...