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बारिश रुलाती नही रोने का नाटक कराती है ,मिले अगर धूप किसी को तो रोशनी किसी के के घर की बन जाती है ,बैठा है हर शख्श अब अंधेरा लिए ,ये रोशनी भी अब हर किसी के हिस्से में कहाँ आती है, रोये थे हम जरूर ...