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बंटाधार का बंटाधार

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एक दिन शौलीलाल जी के दिमाग में फिर खुजली हुई। उन्होेंने सोचा- क्यों न पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया जाए। पत्रकार बनकर जनता की सेवा की जा सकती है।बस, बात दिमाग में आने भर की देर थी कि ...