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बंधन #ओवुमनिया

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जज्बात उधेड़े है फरेबों की चुभन ने शब्द भी उतरते नहीं अब मेरे जहन में गुमा था कि वो एसा ही है क्यों सहमा है अंतर मन उनके विकृत बदले रंग में मुझे तो जकड़े रहना है फिर भी रिश्तों के जकड़न ...

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पारुल शर्मा
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