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बन्धन

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4.4

मत बाधो बन्धन, जिसमें अविश्वास हो, मर जाती हूँ मैं, तुम्हारे विश्वास के लिए, गर्भ में। बच गयी तो मोलती है, अपने ही घर में, दूसरे दर्जे की नागरिकता। नजरे जो घूरती हैं,अपनों की, सडकों ...