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बनाना रिपब्लिक

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4.7

ठाकुर के दालान से निकला तो उसका दिल धाड़-धाड़ कर रहा था। इतनी खुशी वह कैसे सँभाले? कहाँ रखे? घुप्प अँधेरा। ओस से गीली घास पर चलते हुए पैरों में कीचड़ सने तिनके चिपकने लगे। पहर रात बीते ही इतनी ओस। ...