पुराने दोस्त से मिलने की तमन्ना लिए जाते हैं और उसकी बेरुखी के काँटों से छिल जाते हैं वो पेशेवर मुस्कान से यूँ इस्तक़बाल करता है अदब के बोझ से दिल में आंसू निकल जाते हैं उन्हें भी अपनी सुनाने की हड़बड़ी सी होती है हम भी कहाँ पहले सी जिद पे मचल पाते हैं और सुनाओ !, सुनकर इक हूक दबा लेते हैं तुम सुनाओ , कहते हैं औ बात बदल जाते हैं गले लिपट राज साझा करने के दिन बीत चुके आखिर को ये अहसास होता है ,संभल जाते हैं अपनी हसरतों को अब न ज़ाहिर करना मृदुल वो तुम्हारे इरादों की बलंदियों से जल जाते हैं ...
रिपोर्ट की समस्या
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