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बलंदियों से जल जाते हैं

4.2
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पुराने दोस्त से मिलने की तमन्ना लिए जाते हैं और उसकी बेरुखी के काँटों से छिल जाते हैं वो पेशेवर मुस्कान से यूँ इस्तक़बाल करता है अदब के बोझ से दिल में आंसू निकल जाते हैं उन्हें भी अपनी सुनाने की हड़बड़ी ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    pratyush mishra
    14 दिसम्बर 2018
    बहुत ही सुन्दर
  • author
    Chandan rana
    19 मई 2020
    गजल वही अच्छी होती है जिसमें शब्दों का तालमेल भावना के अनुरूप होता है और जो बोलने में समझने में आनंद देती हो मजा ही जाता है
  • author
    Arun Sharma
    26 मई 2019
    तुम सुनाओ कहते है ओर बात टाल जाते है वाह शाह क्या बात है
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    pratyush mishra
    14 दिसम्बर 2018
    बहुत ही सुन्दर
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    Chandan rana
    19 मई 2020
    गजल वही अच्छी होती है जिसमें शब्दों का तालमेल भावना के अनुरूप होता है और जो बोलने में समझने में आनंद देती हो मजा ही जाता है
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    Arun Sharma
    26 मई 2019
    तुम सुनाओ कहते है ओर बात टाल जाते है वाह शाह क्या बात है