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बलंदियों से जल जाते हैं

4.1
1070

पुराने दोस्त से मिलने की तमन्ना लिए जाते हैं और उसकी बेरुखी के काँटों से छिल जाते हैं वो पेशेवर मुस्कान से यूँ इस्तक़बाल करता है अदब के बोझ से दिल में आंसू निकल जाते हैं उन्हें भी अपनी सुनाने की हड़बड़ी ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    pratyush mishra
    14 दिसम्बर 2018
    बहुत ही सुन्दर
  • author
    Chandan rana
    19 मई 2020
    गजल वही अच्छी होती है जिसमें शब्दों का तालमेल भावना के अनुरूप होता है और जो बोलने में समझने में आनंद देती हो मजा ही जाता है
  • author
    Bhawana Yadav
    31 जुलाई 2023
    बहुत अच्छी लाइनें हैं सर एक वक्त के बाद दोस्ती की हकीकत यही होती है 😊
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    pratyush mishra
    14 दिसम्बर 2018
    बहुत ही सुन्दर
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    Chandan rana
    19 मई 2020
    गजल वही अच्छी होती है जिसमें शब्दों का तालमेल भावना के अनुरूप होता है और जो बोलने में समझने में आनंद देती हो मजा ही जाता है
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    Bhawana Yadav
    31 जुलाई 2023
    बहुत अच्छी लाइनें हैं सर एक वक्त के बाद दोस्ती की हकीकत यही होती है 😊