*बालक ध्रुव* राजा एक उत्तानपाद थे, रानी जिनकी बनी सुनीति। रानी दूसरी सुरुचि थी उनकी, जो करती रहती थी अनीति।। ध्रुव सुनीति माता के पुत्र थे, पाते पिता का स्नेह, दुलार। गोद पिता की खेलते देखा, ...
नारी तुम केवल वस्तु नही , हो अमर प्रेम की अमरकथा।।
युग युग से जलती आई हो,अब बदलो अपनी करुण व्यथा।।
मैं एक शिक्षिका,एक पत्नी,एक प्रेमिका,एक मां .... एक स्त्री हूं।।
सारांश
नारी तुम केवल वस्तु नही , हो अमर प्रेम की अमरकथा।।
युग युग से जलती आई हो,अब बदलो अपनी करुण व्यथा।।
मैं एक शिक्षिका,एक पत्नी,एक प्रेमिका,एक मां .... एक स्त्री हूं।।
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