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बाकी सब मोह माया है

4.5
24

छल कपट, प्रपंच, मुफ्त खोरी और बेईमानी का साया है क्या ठान के बैठा है दिल में कोई कब जान पाया है स्वार्थ से भरी दुनिया में जाने कौन अपना कौन पराया है आतंकवाद, लूट, हेरा फेरी इनसे सिक्का अपना जमाया है ...

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लेखक के बारे में
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Vijay D

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    बलजीत कौर
    18 अप्रैल 2020
    वाह,, बहुत ही बढ़िया लिखा है 👏👏👏👏👏👏
  • author
    Nirmala Apaar Kumari "Apaar" "Apaar"
    19 अप्रैल 2020
    वाह बहुत सुंदर रचना लिखी है
  • author
    Anita Yadav
    19 अप्रैल 2020
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने
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  • author
    बलजीत कौर
    18 अप्रैल 2020
    वाह,, बहुत ही बढ़िया लिखा है 👏👏👏👏👏👏
  • author
    Nirmala Apaar Kumari "Apaar" "Apaar"
    19 अप्रैल 2020
    वाह बहुत सुंदर रचना लिखी है
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    Anita Yadav
    19 अप्रैल 2020
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने