छल कपट, प्रपंच, मुफ्त खोरी और बेईमानी का साया है क्या ठान के बैठा है दिल में कोई कब जान पाया है स्वार्थ से भरी दुनिया में जाने कौन अपना कौन पराया है आतंकवाद, लूट, हेरा फेरी इनसे सिक्का अपना जमाया है ...
छल कपट, प्रपंच, मुफ्त खोरी और बेईमानी का साया है क्या ठान के बैठा है दिल में कोई कब जान पाया है स्वार्थ से भरी दुनिया में जाने कौन अपना कौन पराया है आतंकवाद, लूट, हेरा फेरी इनसे सिक्का अपना जमाया है ...