"नहीं नहीं! मैनें उसको नहीं मारा! तुम झूठ कहते हो।" वो बेसाख़्ता चीखा था। "अच्छा! लेकिन उसके आख़िरी ख़त का हर लफ़्ज़ गवाही देता है कि तुम ही उसके कातिल हो। क्या तुम्हें अपने मे से से ख़ून की बू ...
freelance writer .Now days write a novel name of "aks" this novel based a true love story.
सारांश
freelance writer .Now days write a novel name of "aks" this novel based a true love story.
समीक्षा
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रचना शेयर करें
बधाई हो! बख़्त के तख़्त से यकलख़्त उतारा हुआ शख़्स;
तूने देखा है मेवाती कभी जीत के हारा हुआ शख़्स। प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।