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बख़्त के तख़्त से यकलख़्त उतारा हुआ शख़्स; तूने देखा है मेवाती कभी जीत के हारा हुआ शख़्स।

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"नहीं नहीं! मैनें उसको नहीं मारा! तुम झूठ कहते हो।" वो बेसाख़्ता चीखा था। "अच्छा! लेकिन उसके आख़िरी ख़त का हर लफ़्ज़ गवाही देता है कि तुम ही उसके कातिल हो। क्या तुम्हें अपने मे से से ख़ून की बू ...

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लेखक के बारे में
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Aarif mewati

freelance writer .Now days write a novel name of "aks" this novel based a true love story.

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