पीपल के पेड़ के नीचे जून महीने की शाम में भी ठंडी हवा बह रही थी।गंगातट, जहां से गंगा काफी दूर थी, फिर भी वहां का नजारा और वातावरण काफी मनोरम था।गोलाकार सीढ़ियों पर बैठे कुछ दोस्तों के संवाद तेज चल ...
राजेश जैसी सोच अगर हमारे समाज में हर इंसान की हो जाए, तो कोई नीतू पैदा ही नहीं होगी। और हां ये समाज बहुत दोगला है, स्थान, लिंग, पैसा और रूतबा देखकर व्यवहार करता है। जो कि अत्यंत निंदनीय है।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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ना काबिल ए बर्दाश्त है, एक लड़की जो कभी भी अपनी मर्यादा का उलंघन कर देती है वो भी वीडियो बनवा कर, उसे अब इज्जत की क्या चिंता होने लगी? क्या भरोसा कि वो आगे पति की तरफ वफादार रहेगी?
वही इस कहानी के विलेन को कोई दंड नही मिला? ऐसी नकारात्मक सोच जो कि संस्कारहीनता से परिपूर्ण है, निंदनीय है।
निश्चित ही यह कहानी पढ़ने योग्य नही है और बहुत गंदी है
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ना काबिल ए बर्दाश्त है, एक लड़की जो कभी भी अपनी मर्यादा का उलंघन कर देती है वो भी वीडियो बनवा कर, उसे अब इज्जत की क्या चिंता होने लगी? क्या भरोसा कि वो आगे पति की तरफ वफादार रहेगी?
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