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बदला हुआ दौर

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जितने भी ईमानदार थे, कलंदर हो गए, जो चापलूस थे सब, सिकंदर हो गए।

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मलिक आज़ाद

मखलूत है वो हवा के मानिंद मेरे वजूद में, लेकिन उसको भी मेरा भगवान ना समझा जाए; दस्तक ना दी किसी ने मेरी रूह पर उसके बाद, इसको 'आज़ाद' के कुफ़्र का एलान ना समझा जाए;

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