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बादल के आगोश में चाँद... अंतहीन उपन्यास भाग-सात

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अंतहीन उपन्यास का एक अंश रापादूबे गांव में एक सुबह। पौ फटते ही लोग दिनचर्या में लग गए हैं। पशुओं को चारा डालने के बाद लोग दिशा-मैदान के लिए लोटा लेकर निकल गए हैं। कुछ लोग प्रेशर बनाने के लिए ...

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लेखक के बारे में

मैं मूलतः कहानीकार हूं। कोई 50 कहानियां 1995 से वैचारिकी संकलन, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, परिकथा, लमही, कादम्बनी, वर्तमान साहित्य, प्रेरणा, आकल्प आदि पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। कविताएं इधर लिखनी शुरू की हैं। अंधेरे कोने और अंतहीन नामक दो उपन्यास लिखे हैं। अंधेरे कोने उपन्यास notnul.com पर उपलब्ध है। नाटक स्वप्नवृक्ष का जालंधर में दो बार श्री नीरज कौशिक के निर्देशन में मंचन हो चुका है। यह नाटक मेरे ब्लॉग katha-khani.blogspot.in पर मौजूद है। इसे अब तक 50 हजार से अधिक पाठकों ने पढ़ा है। इस ब्लॉग पर मेरी कई कहानियां और कविताएं भी मौजूद हैं। smalochna.blogspot.in पर कई लेख मौजूद हैं। hindi.pratilipi.com पर कई कहानियां और कविताएं मौजूद हैं। पेशे से पत्रकार हूं। फ़िलहाल अमर उजाला में समाचार संपादक हूं।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    पवनेश मिश्रा
    19 अप्रैल 2020
    बेहतरीन, बहुत बेहतरीन लेखन 🙏🌹🙏,
  • author
    25 मई 2020
    यूपी के ग्रामीण! समाज का सजीव चित्रण शब्दों लोकोक्तियों में। तो शायद आपने कोई फेरबदल किया ही नहीं तिवारी जी धन्यवाद! सुंदर रचना के लिए।
  • author
    Irshad Ali
    29 जून 2018
    Maha bakwas कहानी.padhkar apna time waste na करे.
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    पवनेश मिश्रा
    19 अप्रैल 2020
    बेहतरीन, बहुत बेहतरीन लेखन 🙏🌹🙏,
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    25 मई 2020
    यूपी के ग्रामीण! समाज का सजीव चित्रण शब्दों लोकोक्तियों में। तो शायद आपने कोई फेरबदल किया ही नहीं तिवारी जी धन्यवाद! सुंदर रचना के लिए।
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    Irshad Ali
    29 जून 2018
    Maha bakwas कहानी.padhkar apna time waste na करे.