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बचपन पर कविता

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एक बचपन का जमाना था , जिसमे खुशियों का खजाना था... चाहत चाँद को पाने की थी, पर दिल तितली का दीवाना था ... खबर न थी कुछ सुबह की, न शाम का ठिकाना था ... थक कर आना स्कूल से, फिर भी खेलने जाना था ... माँ ...

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Himanshi Rathore
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