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बचपन -२

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इक बात बताऊँ बचपन की, वो पल भी कितना सुन्दर था। छोटी-छोटी आँखों में, वो सपना कितना सुन्दर था। कितना मासूम था सोचना, क्यूँ हम भी ना इतने बड़े हुये। हर चीज है मिलती थोड़ी-थोड़ी, क्यूँ हम ना इतने बड़े ...