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अतिथि देवो भव: । (व्यंग्यात्मक कविता)

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कोरोना से मैंने पूछा, तुम अभी यहीं पसरे हो ? जाते क्यों नहीं भाई ! क्या तुम्हें अपने पिता शी चिन फिंंग की याद नहीं आई ? तो बोला , याद तो आती है, पर क्या करूँ। डैड ने बोला था जाओ, दुनिया घूम कर आओ। सो ...

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Surjit Dogra
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