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अस्तित्व खोता बचपन

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आज का मनुष्य स्वयं की जिंदगी में इतना खो गया है की, उसे इतना समय नही है की उसके आसपास क्या हो रहा है उसे देख सके. अपनी आवश्यकताओं को को पूरा करने में ही उसका सारा दिन व्यतीत हो जाता है. समाज में क्या ...

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स्वयं को कुछ बता पाउ इतना बड़ा अभी मै हुआ नही

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