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आरज़ू-ए-मोहब्बत

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मै जुल्फ़े यार तेरे बाल-बाल के सदके, रिहाई जिससे ना हो ऐसे प्यार के सदके और जो मौत तक ना दे चैन,कब्र में बेदम मै ऐसी याद के कुर्बान खयाल के सदके दिल में, जिगर में, आंख में बस तू ही तू रहे इसके ...

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लेखक के बारे में
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Mohammad Kasim Ansari Quadri

मोहब्बत कर लो बस ज़िन्दगी स्वर जाएगी, नहीं तो सुधर जाएगी।

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