pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अप्प दीपो भव:।

0

द्वापर में  एकलव्य का अंगूठा कटा। त्रेता में शम्भुक का काटा गला।। जो भगवान तेरे पूर्वज का न हुआ कभी। सोच वो ईश्वर तेरा क्या करेगा भला।। इन सब बातों को याद रख। और उन पाखंड भरी किताबों की दे तू जला।। ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Bhupesh Kumar
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है