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अपना गाँव,,,,      पहले था अपना गाँव। था अपने प्यार का छाव। पर अब नही है ऐसा। जो मरती थी फास्ट फूड और  गोल गप्पे पर। देख कर है जाती है भाग। गाँव की वह छोटी सी दुकान,, मिलते थे जहा ताजे और सुद्ध ...