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अपना आराम

4.6
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आज फिर सुबह से अनुजा का बड़बड़ाना जारी था। काम करते हुए हाथों को मशीनों की तरह चला रही थी। लेकिन कमर दर्द से हालत खराब थी। पैर भी साथ देने से इंकार कर रहे थे। इसी वजह से गुस्सा और बढ़ता जा रहा ...

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लेखक के बारे में
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Charu Chauhan

अपनी विचारों को लेख व कहानियों के माध्यम से कहती हूँ

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

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  • author
    Kiran Jain
    20 दिसम्बर 2021
    बात तो बिलकुल सही है लेकिन परिवार के सदस्यों से काम करने को कहने के लिए भी हिम्मत चाहिए होती है जो कई बार सीधी सरल गृहणियां नहीं कर पाती। 👌👌👌👌👌
  • author
    suchita bujurge Unhone
    13 सितम्बर 2018
    sach hai . khud ke liye khud ko hi sochna padta hai.
  • author
    Urmila Sharma
    12 मई 2022
    बिना रोये तो माँ भी बच्चे को दूध नही देती ।अपने पर गृहकार्य का बोझ उतना ही डाले जितना आप का स्वस्थ कार्य करने मे सक्षम हो ।बिमार होने पर तकलीफ आप को सहनी पड़ेगी ।घर को व्यवस्थित रखने मे घर के प्रत्येक सदस्य को अपनी अपनी जिम्मेदारियाँ संभालनी चाहिए । प्रेरणादायक बेहतरीन परिवारिक कहानी ।
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    Kiran Jain
    20 दिसम्बर 2021
    बात तो बिलकुल सही है लेकिन परिवार के सदस्यों से काम करने को कहने के लिए भी हिम्मत चाहिए होती है जो कई बार सीधी सरल गृहणियां नहीं कर पाती। 👌👌👌👌👌
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    suchita bujurge Unhone
    13 सितम्बर 2018
    sach hai . khud ke liye khud ko hi sochna padta hai.
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    Urmila Sharma
    12 मई 2022
    बिना रोये तो माँ भी बच्चे को दूध नही देती ।अपने पर गृहकार्य का बोझ उतना ही डाले जितना आप का स्वस्थ कार्य करने मे सक्षम हो ।बिमार होने पर तकलीफ आप को सहनी पड़ेगी ।घर को व्यवस्थित रखने मे घर के प्रत्येक सदस्य को अपनी अपनी जिम्मेदारियाँ संभालनी चाहिए । प्रेरणादायक बेहतरीन परिवारिक कहानी ।