अंतिम यात्रा का क्या खूब वर्णन किया है..... था मैं नींद में और. मुझे इतना सजाया जा रहा था.... बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था.... ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर ...
अंतिम यात्रा का क्या खूब वर्णन किया है..... था मैं नींद में और. मुझे इतना सजाया जा रहा था.... बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था.... ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर ...