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अनोखा पुरस्कार

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आधी रात का समय था.  चारों ओर घना अँधेरा छाया हुआ था. मूसलाधार बारिश हो रही थी, बादल रह – रहकर गरज उठते थे. बिजली के बार – बार कौंधने से वातावरण बहुत ही भयानक हो उठा था. इस बुरे मौसम में सारा उज्जयिनी ...

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लेखक के बारे में

कल‬ न ‪हम‬ होंगे न कोई गिला होगा, सिर्फ ‪सिमटी‬ हुई ‪यादों‬ का ‪सिलसिला‬ होगा, जो लम्हे है चलो ‪हंसकर‬ बिता लें, जाने कल ‎जिंदगी‬ का क्या फैसला होगा...

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