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"अंधेरा और उजाला"

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ये अंधेरा रात का, चारों ओर घना धुंधला सा; आँधियों की छांव में दिखता नहीं कोई रास्ता। पथ बदले, मोड़ बदले, मन में दर्पण शिखर धरे; पर ये अंधेरा जैसे बना ही हो, चल पाने को नया सवेरा। मन में आग जलती है, ...