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अलविदा माहे रमज़ान

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अलविदा माहे रमज़ान।। फिर ना ये दुआओ का नूर होगा, ना ये इबादतों का जुनून होगा।। फिर ना ये सेहरी का जज्बा होगा, ना ये इफ्तार का सुरूर होगा।। जितनी चाहे मगफिरत करवा लेना, फिर ये मौका ना मिलेगा।। ...

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Fem

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