लकीर दर लकीर.. बनती हुई एक तस्वीर। धुंदले पड़तेे हुए बहुत से अक्स... और समय की रेत पर उभरती हुई एक नयी इबारत! ... चीज़ें वहीँ रह जाती हैं... बस उनके रूप बदल जाते है.... ...
लकीर दर लकीर.. बनती हुई एक तस्वीर। धुंदले पड़तेे हुए बहुत से अक्स... और समय की रेत पर उभरती हुई एक नयी इबारत! ... चीज़ें वहीँ रह जाती हैं... बस उनके रूप बदल जाते है.... ...