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अकेला ही काफी हु

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मुहब्बत को जीतने के लिए, मैं अकेला ही काफी हूँ। दुश्मनों को हराने के लिए, मैं अकेला ही काफी हूँ। मेरी हौसले भरी जिंदगी को जहन्नुम समझने वालों, तुम्हारी नींदें उड़ाने के लिए, मैं अकेला ही काफी ...

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लेखक के बारे में
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Kavi Rakesh Kumawat

कविता, वीर रस,श्रृंगार,प्रेम,मुक्तक,गजल, शायरी,

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