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अहम शून्यता

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विगलित करके अहम चाहता अहम शून्य हो जाऊं । मिट जाए अस्तित्व आपके चरणों में खो जाऊँ ।। बादल अपना अपनापन बूंदों में खो देता है । बूंदों का अस्तित्व सदा धाराओं में होता है ।। धाराएं नदियों में जाकर ...

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लेखक के बारे में
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Dr Ashwini Shukla

मैं डॉ अश्विनी शुक्ला प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हूँ। इससे पूर्व सर्व शिक्षा अभियान द्वारा संचालित ब्लॉक संशाधन केन्द्र हैदरगढ़ बाराबंकी में वरिष्ठ सह समन्वयक पर कार्यरत था।लगभग 9 वर्ष तक ब्लॉक समन्वयक हैदरगढ़ एवं 6 वर्ष तक सहसमन्वयक के पद पर कार्यरत रहा । वर्तमान में उत्कर्ष , बाल ज्योति , अभिनव , उत्थान शैक्षिक पत्रिकाओ का परिषदीय प्रकाशन तथा स्पंदन व विचार दर्शन नामक दो पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं । समसामयिक विषयों के साथ शैक्षिक व सामाजिक मुद्दों पर मन के भावों को व्यक्त कर हल्का होने का प्रयास करता हूँ।

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