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अग्निस्य शिखा च शिखा बंधन श्लोक

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ॐ  मानस्तोके तनये मानSआयुषि मानो गोषु मानोSअश्वेषुरिरीश:।  मानो(व्व)विरां  रूद्रभामिनो (व्व)वधी: हविश्म: अंत: सदमित्वा हवामहे। चिद्रूपिणि महामाये दिव्यतेजः समन्विते ।  तिष्ठ देवि शिखामध्ये ...

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Jigar G Mehta

जय गुरुदेव दत्तात्रेय।

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