मैं फिर से अपने वजूद की हर सदी, तुम्हारे हवाले करना चाहती हूँ, उन मौन पलों की भी गिरहें खोलना चाहती हूँ, जो अब तक सिर्फ़ मेरी आँखों में बंधे रहे। मैं चाहती हूं, तुम्हें वो सब दे दूं, जो अब भी मेरे ...
मैं फिर से अपने वजूद की हर सदी, तुम्हारे हवाले करना चाहती हूँ, उन मौन पलों की भी गिरहें खोलना चाहती हूँ, जो अब तक सिर्फ़ मेरी आँखों में बंधे रहे। मैं चाहती हूं, तुम्हें वो सब दे दूं, जो अब भी मेरे ...